पिछले साल सितंबर के महीने में खाने के तेल के इंपोर्ट पर ड्यूटी में इजाफा किया गया था. उसका असर लगातार देखने को मिला. अगर मौजूदा साल की बात करें तो खाने के तेल में 3 रुपए से लेकर 11 रुपए का इजाफा देखने को मिला है. वहीं दूसरी ओर मौजूदा साल में खाने के तेल के इंपोर्ट में भी गिरावट देखने को मिली है. फरवरी के महीने में खाने के तेल का इंपोर्ट 4 साल के लोअर लेवल पर पहुंच गया है. जानकारों के अनुसार खाने के तेल के इंपोर्ट कम होने का प्रमुख कारण इंपोर्ट ड्यूटी ज्यादा होगा.
साथ ही आने वाले दिनों में इंपोर्ट ड्यूटी में और इजाफे के संकेत मिलना है. इंपोर्ट ड्यूटी में इजाफे का मकसद लोकल फार्मर्स को सपोर्ट करना है. लेकिन इंपोर्ट में कमी और स्टोरेज में कमी आने की वजह से आने वाले दिनों में खाने के तेल में और महंगाई बढ़ने की संभावना है. आइए आपको पहले बताते हैं कि आखिर खाने के तेल के इंपोर्ट में कितनी गिरावट देखने को मिली है और मौजूदा साल में ऑयल की रिेटेल की कीमतों में कितना इजाफा देखने को मिला है.
इंपोर्ट में बड़ी गिरावट
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सोया ऑयल और सूरजमुखी ऑयल के इंपोर्ट में गिरावट के कारण फरवरी में भारत का खाद्य तेल इंपोर्ट चार साल के निचले स्तर पर पहुंच गया, हालांकि पाम तेल का आयात जनवरी में लगभग 14 साल के निचले स्तर से सुधरा है. लगातार दूसरे महीने सामान्य से कम इंपोर्ट के कारण दुनिया के सबसे बड़े वनस्पति तेल खरीदार के स्टॉक में कमी आई है और आने वाले महीनों में भारत को खरीद बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है, जिससे मलेशियाई पाम तेल की कीमतों और अमेरिकी सोया तेल वायदा को सपोर्ट मिलेगा.
डीलर्स के अनुमान के अनुसार, पाम तेल का इंपोर्ट फरवरी में पिछले महीने से 36 फीसदी बढ़कर 374,000 मीट्रिक टन हो गया, जो जनवरी में मार्च 2011 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया था. भारत ने अक्टूबर 2024 में समाप्त होने वाले विपणन वर्ष में हर महीने औसतन 750,000 टन से अधिक पाम तेल का इंपोर्ट किया. डीलर्स ने बताया कि फरवरी में सोया तेल का इंपोर्ट एक महीने पहले की तुलना में 36 फीसदी घटकर 284,000 मीट्रिक टन रह गया, जो आठ महीनों में सबसे कम है, जबकि सूरजमुखी तेल का आयात 22 फीसदी घटकर 226,000 मीट्रिक टन रह गया, जो पांच महीनों में सबसे कम है.
किस ऑयल के इंपोर्ट में कितनी गिरावट
डीलरों के अनुमान के अनुसार, सोया तेल और सूरजमुखी तेल की कम खेप ने फरवरी में देश के कुल खाद्य तेल आयात को 12 फीसदी घटाकर 884,000 टन कर दिया, जो फरवरी 2021 के बाद सबसे कम है. वनस्पति तेल ब्रोकरेज, सनविन ग्रुप के सीईओ संदीप बाजोरिया ने कहा कि विदेशों में ऊंची कीमतों और स्थानीय खाद्य तेलों की अधिक सप्लाई ने रिफाइनरों को फरवरी में इंपोर्ट कम करने के लिए प्रेरित किया. डीलरों का अनुमान है कि फरवरी में कम आयात ने भारत में खाद्य तेल के स्टॉक को एक महीने पहले की तुलना में 26 फीसदी घटाकर 1 मार्च को 1.6 मिलियन टन कर दिया है, जो 4 साल से अधिक समय में सबसे कम है.
खाद्य तेल व्यापारी जीजीएन रिसर्च के मैनेजिंग पार्टनर राजेश पटेल ने कहा कि जनवरी और फरवरी में असामान्य रूप से कम आयात के बाद, मार्च से देश का आयात बढ़ना शुरू हो सकता है. भारत मुख्य रूप से इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से पाम तेल खरीदता है, जबकि वह अर्जेंटीना, ब्राजील, रूस और यूक्रेन से सोया तेल और सूरजमुखी तेल का आयात करता है.
ऑयल की कीमतों में इजाफा
मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर के आंकड़ों के अनुसार मौजूदा साल में जहां वनस्पति ऑयल की कीमतों में 6 रुपए का इजाफा देखने को मिला और दाम 170 रुपए से 176 रुपए हो गए. वहीं दूसरी ओर सोया ऑयल की कीमत में में 5 रुपए की तेजी देखने को मिली और दाम 158 रुपए से 163 रुपए पर आ गए. सन फ्लावर के दाम में 11 रुपए की बढ़ोतरी देखने को मिली और कीमत 170 रुपए से बढ़कर 181 रुपए हो गई. अंत में पाम ऑयल के दाम में 3 रुपए की तेजी देखने को मिली और दाम 143 रुपए से बढ़कर 146 रुपए हो गई.