देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी लोगों के फ्यूचर को सेफ करने का ही काम नहीं करती है, बल्कि वो देश की सबसे बड़ी इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर भी है. देश के करोड़ों का लोगों का पैसा जो प्रीमियम के रूप में जमा करता है उसी पैसे को इंश्योरेंस कंपनी शेयर बाजार में भी लगाती है. आपको जानकर हैरानी होगी कि शेयर बाजार में आई इस गिरावट की वजह से एलआईसी को इस दौरान 1.45 लाख करोड़ रुपए डूब चुका है.
मात्र दो महीनों में हुए इस नुकसान से एलआईसी का पोटफोलिया जो दिसंबर 2024 में 14.9 लाख करोड़ रुपए था वो फरवरी महीने के आखिरी दिन घटकर 13.4 लाख करोड़ रुपए रह गया. अब आप समझ सकते हैं कि आखिर एलआईसी को दो महीनों में कितना मोटा नुकसान हो चुका है. शेयर बाजार के जानकारों की मानें तो ये हाल के दिनों में एलआईसी को सबसे बड़ा नुकसान हुआ है. आइए आपको भी आंकड़ों की भाषा में समझाने की कोशिश करते हैं कि आखिर एलआईसी जैसी कंपनी को ये नुकसान किन शेयरों के डूबने से हुआ है.
इन कंपनियों ने पहुंचाया मोटा नुकसान
ACE इक्विटी के डाटा के अनुसार आईटीसी ने एलआईसी को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया है. जिसमें एलआईसी की दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी है. दो महीनों में आईटीसी के शेयरों में 18 फीसदी की गिरावट देखने को मिली , जिसकी वजह से एलआईसी पोर्टफोलिया को लगभग 17,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. टेक दिग्गज टीसीएस और इंफोसिस, जिनमें एलआईसी की हिस्सेदारी क्रमशः 4.75 फीसदी और 10.58 फीसरी है, में भी गिरावट आई है, जिससे पोर्टफोलियो से क्रमशः 10,509 करोड़ रुपए और 7,640 करोड़ रुपए की गिरावट देखने को मिली है.
बैंकिंग और फाइनेंशियल स्टॉक की बात करें तो SBI (9.13 फीसदी हिस्सेदारी) और ICICI बैंक (7.14 फीसदी हिस्सेदारी) में LIC की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है. जिनकी वजह से पोर्टफोलियो को क्रमश: 8,568 करोड़ रुपए और 3,179 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. जियो फाइनेंशियल सर्विसेज सबसे ज़्यादा प्रभावित शेयरों में से एक रही, जिसमें 30.5 फीसदी की गिरावट आई और एलआईसी को इस स्टॉक से 3,546 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. अन्य प्रमुख नुकसान में एलएंडटी, एचसीएल टेक और एमएंडएम, जियो फाइनेंशियल, अडानी पोर्ट्स और जेएसडब्ल्यू एनर्जी शामिल हैं. इनमें से ज़्यादातर शेयरों में इस साल दोहरे अंकों में नुकसान हुआ है.
इन कंपनियों में एलआईसी का निवेश
LIC ने 310 से ज़्यादा कंपनियों में फैले हुए हैं, जिनमें एलआईसी की कम से भी कम एक फीसदी की हिस्सेदारी है. इस साल कम से कम 35 ऐसे शेयर हैं, जिनमें LIC को कम से कम 1,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. वैल्यू के हिसाब से LIC की सबसे बड़ी होल्डिंग्स हैं रिलायंस इंडस्ट्रीज (1,03,727 करोड़ रुपए), आईटीसी (75,780 करोड़ रुपए), इंफोसिस (67,055 करोड़ रुपए), एचडीएफसी बैंक (62,814 करोड़ रुपए), टीसीएस (59,857 करोड़ रुपए), एसबीआई (55,597 करोड़ रुपए) और एलएंडटी (54,215 करोड़ रुपए) का निवेश है. वहीं दूसरी ओर एलआईसी के पोर्टफोलियो में कुछ स्टॉक ऐसे भी रहे हैं, जिन्होंने एलआईसी को फायदा पहुंचाया है. जिनमें बजाज फाइनेंस, कोटक महिंद्रा बैंक, मारुति सुजुकी, बजाज फिनसर्व और एसबीआई कार्ड्स शामिल हैं.
क्या होगा एलआईसी के पोर्टफोलियों में सुधार
बाजार में उतार-चढ़ाव के साथ-साथ बिकवाली के दबाव में कमी आने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं, ऐसे में एलआईसी की होल्डिंग्स में और गिरावट की चिंता बढ़ गई है. इंश्योरेंस कंपनी को ऐतिहासिक रूप से बाजार की अस्थिरता को झेलने के लिए जाना जाता है, लेकिन एफआईआई द्वारा लगातार बिकवाली और एसएमई शेयरों के टूटने के बीच निफ्टी और सेंसेक्स के दबाव में होने के कारण, दर्द अभी खत्म नहीं हुआ है.
अधिकांश विश्लेषकों का कहना है कि निफ्टी में शिखर से 16 फीसदी की गिरावट आई है, जिसने पिछले 32 महीनों में पहली बार अपने टीएमएम पीई मल्टीपल सब-20 लेवल को भी कम किया है, जिससे वैल्यूएशन में भी गिरावट आई है. हालांकि, जब तक एफआईआई का मन नहीं बदलता, तब तक बाजार में सुधार की संभावना नहीं है. पिछले 5 महीनों में, एफआईआई ने इक्विटी कैश सेगमेंट में 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक वैल्यू के भारतीय शेयरों को बेचा है.
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज मीडिया रिपोर्ट में कहा कि उसे उम्मीद है कि इस साल निफ्टी काफी हद तक सीमित रहेगा, जबकि सिटी रिसर्च ने हाल ही में दिसंबर 2025 तक 26,000 तक रिकवरी का अनुमान लगाया था, जो मौजूदा लेवल से 13 फीसदी ज्यादा है. मॉर्गन स्टेनली को उम्मीद है कि भारत मैक्रो स्थिरता और बढ़ती खपत के सहारे उभरते बाजारों के मुकाबले अपना बेहतर प्रदर्शन फिर से शुरू करेगा.